छह करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया ग्राम चाकल्या स्थित भुवाड़ा डेम महज शोपीस बनकर रह गया है Bhuwada Dam in village Chakalya, built at a cost of Rs 6 crore, has become a mere showpiece.

 छह करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया ग्राम चाकल्या स्थित भुवाड़ा डेम महज शोपीस बनकर रह गया है

जिम्मेदारों की अनदेखी- 200 हेक्टेयर क्षेत्र में नहरे बनानी थी। 150 हेक्टेयर क्षेत्र में लिफ्ट के माध्यम से पानी पहुंचाया जाना था

डही शाहरुख बलोच। छह करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया ग्राम चाकल्या स्थित भुवाड़ा डेम महज शोपीस बनकर रह गया है। इसमें जलराशि तो अथाह है लेकिन यह किसी काम की नहीं रह गई है। विशाल भूभाग स्थित इस डेम के करीब 2 किलोमीटर क्षेत्र में संग्रहित पानी से ग्राम चाकल्या, मालपुरा, नरझली, काकरिया, गाजगोटा आदि गांव में नहरों के माध्यम से किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाना था। 

डही शाहरुख बलोच। छह करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया ग्राम चाकल्या स्थित भुवाड़ा डेम महज शोपीस बनकर रह गया है। इसमें जलराशि तो अथाह है लेकिन यह किसी काम की नहीं रह गई है। विशाल भूभाग स्थित इस डेम के करीब 2 किलोमीटर क्षेत्र में संग्रहित पानी से ग्राम चाकल्या, मालपुरा, नरझली, काकरिया, गाजगोटा आदि गांव में नहरों के माध्यम से किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाना था।

डेम बने 5 साल से अधिक समय बीत गया है किंतु अब तक नहरें ही नहीं बनी है और इनमे से किसी भी गांव में नहरों के माध्यम से पानी नहीं पहुंचा है। ऐसे में नहरें नहीं बनने से इन गांव के किसान सिंचाई से महरूम है।              

चाकल्या स्थित भुवाड़ा डेम को बनाने के पीछे उद्देश्य यह था कि किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल सके। लेकिन अब तक ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। इस डेम को बनाने में अधिकारियों ने शासन के छह करोड़ रुपए पानी में बहा दिए और अब कहां जा रहा है कि पहाड़ी इलाका होने से नहरें नहीं बन पाएगी।

 ऐसे में अब इस डेम के निर्माण पर ही सवालिया निशान लग गया है। गौरतलब हो कि 200 हेक्टेयर क्षेत्र में नहरे बनानी थी। 150 हेक्टेयर क्षेत्र में लिफ्ट के माध्यम से पानी पहुंचाया जाना था। जहां तक नहर का सवाल है तो आधा किलोमीटर बना दी गई है। शेष भाग में पहाड़ी आ जाने के कारण नहरें नहीं बन पाई है। 

  हालांकि कुछ किसान इसके संग्रहित पानी को अपने स्तर से विद्युत पंप द्वारा सिंचाई के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन यह खतरे से खाली नहीं है। करीब 2 किलोमीटर क्षेत्र में इस डेम का पानी संग्रहीत है। डेम का बैक वाटर तो अतरसुमा- गाजगोटा मुख्य मार्ग तक आ गया है और विशाल तालाब के रूप में तब्दील हो गया ह  रमणीय स्थल, पर्यटन की संभावनाएं          

दूसरी और पहाड़ी भूभाग और झाड़ियों स्थित इस डेम का पानी लोगों को आकर्षित करता है। मुख्य डेम सहित इसका बैक वाटर का क्षेत्र काफी सुंदर और रमणीय लगता है। यहां भुवाड़ा बाबा का शिव मंदिर भी स्थित है।  इससे यहां पर्यटन की संभावनाएं भी नज़र आती है। इसका पर्यटन की दिशा में विस्तार किया जाए तो यह काफी बेहतर हो सकता है। यहां मछली उद्योग की संभावना भी बेहतर है।   

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