गंज बासौदा वेदांत आश्रम में समायोजित सप्त दिवसीय रूद्र महायज्ञ एवं शिव महापुराण की कथा का आज विधिवत शुभारंभ किया गया । Seven-day long Rudra Mahayagya and Shiva Mahapuran's story organized at Ganj Basoda Vedanta Ashram was duly inaugurated today.

गंज बासौदा वेदांत आश्रम मेंसमायोजित सप्त दिवसीय रूद्र महायज्ञ एवं शिव महापुराण की कथा का आज विधिवत शुभारंभ किया गया 

रवि चौरसिया दबंग देश

यज्ञ के यजमानों द्वारा प्रायश्चित तथा क्षौर व मंडप प्रवेश विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा प्रारंभ कराया गया ।

   प्रारंभ में गौमाता व सिद्ध बाबा का अभिषेक व पूजन किया गया । 12:00 बजे से प्रारंभ हुए शिव महापुराण की कथा के शुभारंभ में कथा की यजमान श्री घनश्याम दास सुहाने, श्री देवेंद्र सिंह जी यादव एवं वेदांत महिला मंडल के द्वारा व्यास गद्दी का पूजन किया गया । आज की कथा में कथा व्यास श्रीमद जगद्गुरु अनंतानंद द्वाराचार्य डॉ स्वामी राम कमल दास वेदांती जी महाराज द्वारा शिव महापुराण के महत्व की कथा की गई ।

प्रारंभ में गौमाता व सिद्ध बाबा का अभिषेक व पूजन किया गया । 12:00 बजे से प्रारंभ हुए शिव महापुराण की कथा के शुभारंभ में कथा की यजमान श्री घनश्याम दास सुहाने, श्री देवेंद्र सिंह जी यादव एवं वेदांत महिला मंडल के द्वारा व्यास गद्दी का पूजन किया गया । आज की कथा में कथा व्यास श्रीमद जगद्गुरु अनंतानंद द्वाराचार्य डॉ स्वामी राम कमल दास वेदांती जी महाराज द्वारा शिव महापुराण के महत्व की कथा की गई ।

   स्वामी वेदांती जी ने बताया कि लोक कल्याण के जितने भी सूत्र है वह सभी शिव महापुराण में पाए जाते हैं शिव महापुराण में 7 संहिताए  व 24000 श्लोकों में भगवान शिव की लोक कल्याणकारी कथाएं बताए गए हैं। वह मानव जीवन को श्रेष्ठ पथ पर चलने की प्रेरणा देती है। संसार में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जिससे जाने अनजाने में कोई गलती हुआ पाप ना हुआ हो किंतु शिव महापुराण में वर्णित बिंदुग नाम के ब्राह्मण उनकी पत्नी चंचुला के चरित के माध्यम से यह बताया गया कि भगवान शिव की संगति होने पर शिव महापुराण की कथा श्रवण करने से सारे पापों की नृवित्ती हो जाती है। शिव महापुराण का विधान है यदि कोई गलती करके उसे स्वीकार कर ले और फिर आगे करने की  प्रतिज्ञा लेकर भगवान शिव की आराधना करें तो उसके सारे पापों से मुक्ति हो जाती है।चंचुला एवं विंदुग ने अनेकों पाप किए थे फिर भी वह भगवान शंकर की शरणागति लेकर श्रेष्ठ कर्म की प्रेरणा लेकर शिवलोक कैलाश की प्राप्ति कर लेते हैं 

भगवान शिव का संपूर्ण चरित्र परोपकार की प्रेरणा देता है। भगवान शिव जैसा दयालु करुणा  के  सागर कोई और देवता नहीं है। उन्होंने समुद्र मंथन में निकले जहर के प्रभाव से भस्म हो रहे देवताओं की रक्षा स्वयं जहर पी कर की । जो परोपकार के निमित्त अपमान रूपी जहर के घुट पीता है वही भी शिव स्वरूप हो जाता है ।‌वेदांत आश्रम में द्वादश ज्योतिर्लिंगों की भी स्थापना की गई है। द्वादश पार्थिव शिवलिंगों की दर्शन निमित्त  आज से ही पूजन अर्चन प्रारंभ हो गया है।

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