मेरी संस्कृति मेरी पहचान- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी। My Culture My Identity - Brahma Kumari Rekha Didi.
गंजबासौदा।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ए- 33 मुखर्जी नगर द्वारा राष्ट्रीय हाथ करघा दिवस पर मेरी सस्कृति मेरी पहचान विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। अतिथि के रूप में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट विनोद कुमार शर्मा, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट धनेन्दर सिंह परमार, संदीप जैन मजिस्ट्रेट ने कार्यक्रम की सराहना की। ब्रह्मा कुमारी रेखा दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारी पहचान हमारे देश से है, हमारी संस्कृति से है। सम्पूर्ण विश्व में भारत अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। इसी से प्रभावित होकर दुनियाभर से लाखों लोग हर वर्ष यहां की संस्कृति देखने और जानने के लिए आते हैं। इसलिए टूरिज्म मंत्रालय का प्रयास है कि जो भी टूरिस्ट विदेश से आते हैं तो वह यहां की अच्छी छवि लेकर जाएं। इसके लिए हम सभी को उनके साथ अच्छा व्यवहार करना होगा। उन्हें अच्छी सेवा देना होगी। भारत के जो संस्कार हैं, मूल्य हैं, वैसा व्यवहार करना होगा।
हमारे यहां सभी धर्म के लोग आपस में शांति, प्रेम से रहते हैं, यही हमारे देश की विशेषता है। अनेकता में एकता ही हमारी संस्कृति रही है। हमारा देश विश्वगुरु था। लेकिन कई कारणों से हम परतंत्र हो गए। भारत की संस्कृति को फिर से स्थापित करने का कार्य ब्रह्माकुमारीज संस्था कर रही। बीके रूकमणी बहन ने कहा कि दुनिया में सभी चाहते हैं कि हमारे संपर्क में जो भी आएं वह हमें दया और करुणा से देखें। सभी चाहते हैं कि हमारी अच्छी तंदुरुस्ती हो, धन हो, सब राजी रहें। हमें सबसे पहले अपने ऊपर दया करनी है। स्वयं को स्वयं पर दया और कृपा करनी है।
हेल्थ के लिए जैसे एक्सरसाइज जरूरी है, वैसे ही आंतरिक खुशी के लिए मेडिटेशन बहुत जरूरी है। जीवन में कमाना है तो दुआओं का धन कमाएं। हमारे भारत देश की संस्कृति बहुत उच्च है। यहां के लोग बहुत दयालु, सौम्य और सेवाभावी हैं। यहां सभी त्योहार लोग मिलजुलकर मनाते हैं। भारत की संस्कृति अतिथि देवो भव: की है। हमारी संस्कृति है अहिंसा और वसुधैव कुटुम्बकम वाली महान संस्कृति रही है।
आज भले इसमें परिवर्तन आ गया है लेकिन अब फिर से परमात्मा पुन: दैवी संस्कृति की स्थापना कर रहे हैं। यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि हमने भारत देश में जन्म लिया है। परमात्मा कहते हैं तेरा सो तेरा मेरा भी तेरा। लेकिन आज हमारी संस्कृति बदल गयी है। भारत देश देव भूमि थी। देवता अर्थात देने वाला। भारत ने हमेशा दूसरे देशों को दिया है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का उद्देश्य भारतीय संस्कृति की प्राचीन परंपरा से लोगों को अवगत कराना है। कार्यक्रम में राजेन्द्र प्रसाद सेठ, नीरज कुरेले,बद्रीप्रसाद कुरेले, सुनील सुहाने, अरूण खैरा, अशोक खैरा, पूनम खैरा, सपना सेठ, प्राची सूहाने,पिंकी गंगबाल,राधा कुरेले, हेमा बडकुल आदि अधिक संख्या में भाई- बहन कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
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