नगर में शताधिक दिगंबर जैन मंदिर हैं, लेकिन छत्रपति नगर के आदिनाथ जिनालय की झलक है सबसे अलगThere are more than a hundred Digambar Jain temples in the city, but the Adinath Jain temple of Chhatrapati Nagar has a different look

नगर में शताधिक दिगंबर जैन मंदिर हैं, लेकिन छत्रपति नगर के आदिनाथ जिनालय की झलक है सबसे अलग

डाक्टर जैनेंद्र जैन इंदौर

वैसे तो नगर में शताधिक दिगंबर जैन मंदिर हैं लेकिन एरोड्रम रोड स्थित मिनी बुंदेलखंड के रूप में चर्चित छत्रपति नगर में 12000 वर्ग फुट के भूखंड पर वर्ष 1996 में निर्मित एवं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य समाधिस्थ मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में प्रतिष्ठित श्री दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर का



इस वर्ष संपन्न जीर्णोद्धार के पश्चात मुनि श्री विमल सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संपन्न होने के बाद नक्काशीदार लाल प्रस्तर से सुसज्जित एवं पूर्व निर्मित दो खंड के जिनालय को तीन खंड के नए स्वरूप में परिवर्तित कर दिए जाने से यह जिनालय छत्रपतिनगर एवं उसके चहुं और बसी कॉलोनी गौरव नगर, महावीर बाग, एवं अग्रसेन नगर आदि के जैन धर्मावलंबियों के लिए सर्व सुविधा संपन्न एक पवित्र उपासना स्थल एवं गौरव पीठ के रूप में स्थापित होकर श्रमण संस्कृति की धर्म ध्वजा फहरा रहा है। यहां प्रतिदिन लगभग 600 से अधिक जैन धर्मी महिला पुरुष युवक, युवतियां श्रीजी के दर्शन,अभिषेक पूजन एवं स्वाध्याय के लिए आते हैं।

 जिनालय के तल मंजिल पर कमलासन वेदी पर विराजमान 1008 मूल नायक श्री आदिनाथ भगवान, प्रथम तल पर 1008 श्री मुनिसुब्रतनाथ भगवान एवं द्वितीय तल पर 1008 श्री आदिनाथ भगवान की सुदर्शनीय प्रतिमा विराजमान है जो भक्त जनों के हृदय में सुख शांति की धारा बहा भक्तों पर अपनी करुणा बिखेरती प्रतीत होती है।

ट्रस्ट के अध्यक्ष भूपेंद्र जैन एवं धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू के अनुसार जिनालय परिसर में ही

भव्य मान स्तंभ ,संत सदन, सभागृह, स्वाध्याय भवन, बच्चों के धार्मिक शिक्षण हेतु जैन पाठशाला भी है।

स्वाध्याय भवन में स्वाध्याय हेतु लगभग 2000 शास्त्र एवं जैन धर्म विषयक सत साहित्य भी उपलब्ध है।

 मिनी बुंदेलखंड के रूप में चर्चित छत्रपति नगर का आदिनाथ जिनालय पश्चिम क्षेत्र में इंदौर नगर का एकमात्र पहला ऐसा जिनालय है जहां भक्तों को प्रतिवर्ष साधु संतों एवं आर्यिका माताजी का सानिध्य एवं आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है। इसी प्रकार जिनालय के तल मंजिल की दीवारों के ऊपरी भाग में तीन तरफ भक्तांबर के 48 काव्य और उनके भावों को लाल पत्थरों पर चित्र रूप में उत्कीर्ण कर प्रदर्शित किया गया है।

जिनालय का संचालन एवं व्यवस्था श्री आदिनाथ दिगंबर जैन धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट द्वारा की जाती है। जिनालय निर्माण और उसे भव्याती भव्य 

सुदर्शनीय स्वरूप देने में प्रारंभ से लेकर आज तक ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में सर्व श्री कैलाश जैन नेताजी, डॉ जैनेंद्र जैन, विमल बांझल, कमल जैन चैलेंजर ,मानिकचंद नायक का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान में श्री भूपेंद्र जैन देवरीवाले ट्रस्ट के अध्यक्ष , डॉ जैनेंद्र जैन कार्याध्यक्ष, रमेश चंद जैन एमपीईवी वरिष्ठ उपाध्यक्ष, विपुल बांझल महामंत्री, जिनेश जैन उपाध्यक्ष, रमेश जैन कोषाध्यक्ष, नीलेश जैन टैलेंट सह कोषाध्यक्ष, हैं एवं पूर्व अध्यक्ष कैलाश जैन नेताजी, राकेश नायक,श्रुत जैन, दीपांकर जैन ट्रस्टी एवं कार्यकारिणी सदस्य हैं , पंडित रमेशचंदजी बांझल एवं कमलकांत जैन ट्रस्ट के परामर्शदाता हैं ।

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