बाबा फरीद की दरगाह पर उमड़ेगा हिंदू मुस्लिम एकता की श्रद्धा का सैलाब
दूर दूर से आएंगे श्रद्धालु, चढ़ाएंगे चादर
दबंग देश -रजत सांड
बड़ावदा। हजरत बाबा फरीदगंज शकर रेहअ चिल्ला शरीफ पर तीन दिवसीय 780वां उर्स व मेले का आयोजन मंगलवार से प्रारंभ हो गया। नगरपरिषद, वक्फ कमेटी और उस कमेटी के तत्वावधान में उर्स का आयोजन ऐतिहासिक रूप से किया जा रहा है। बाबा फरीद की दरगाह को विद्युत सज्जा से जगमगाया गया है। यहां मंगलवार को पहले दिन कुरानखानी, दोपहर बाद नमाज परचम कुशाई, रात 8 बजे मिलाद शरीफ हुआ। बुधवार की रात 9 बजे महफिल हुई आज दोपहर 2 बजे स्थानीय मरदान शाह बाबा की दरगाह शरीफ से पंखा व चादर शरीफ का जुलूस बैंडबाजे के साथ निकाला जाएगा। ये विभिन्न मार्गों से होता हुआ शाम 4 बजे मेले में पहुंचेगा। 5 बजे चादर सहित पंखाचिल्ला शरीफ पर चढ़ाया जाएगा।
रात १ बजे महफिले समा होगी।
इसमें बाहर से आने वाली कव्वाल पार्टियों के साथ नगर के यूसुफ फारूक कव्वाल पार्टी, इकबालकमालिया व अन्य पा्टियां कलाम पेश करेंगी। 15 दिसंबर को सबह 11 बजे रंग की महफिल के साथ उर्स का समापन होगा। वकफ कमेटी सेक्रेटरी रशाद खान पठान, मन्ञा खान पठान, जावेद पटेल ने सभी सेउसे में शामिल होकर उसे सफल बनाने की अपील की है।
दूर-दूर से आएंगे श्रद्धालु , टेकेंगे मत्था.....
नगर से 1 किलोमीटर दूर बाबा फरीद की दरगाह विश्व प्रसिद्ध मानी जाती है। यहां बाबा साहब ने पेड़ पर बैठकर कठोर तपस्या की थी जिनके चमत्कार के चलते इस दरगाह की ख्याति सर्वत्र फैलती गई है। यहां साल में एक बार तीन दिन का उर्स लगता है समापन गुरुवार को होता है ।जिसमें देश भर के हजारों जायरीन यहां आते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता रईस मौलाना, अयूब मोहम्मद शाह ने बताया कि इस उर्स की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां मुस्लिम समाज के साथ ही हिंदू समाज भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहता है। अंतिम दिन स्थिति यह रहती है कि मेले में पैर रखने की जगह तक नहीं मिलती है। आसपास के गांव पूरे खाली हो जाते हैं हिंदू मुस्लिम एकता की बड़ी मिसाल यह उर्स सभी को दिखाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु बाबा फरीद की दरगाह पर चादर चढ़कर माथा टेकते हैं एवं अमन की दुआ करते हैं।उर्स को लेकर तैयारीया पूरी कर ली गई है ।झूले , चकरिया अन्य मनोरंजन के साधन भी आ चुके हैं।

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